हाथ से बुने हुए वस्त्र की महिमा ही अलग


नई दिल्ली । भारतीय रेशम की मुरीद दक्षिण कोरिया की प्रथम महिला किम जुंग सुक ने खादी वस्त्र की प्रशंसा करते हुए कहा कि आज जब दुनिया किसी वस्तु की मास प्रोडक्शन की ओर अग्रसर है, इस पारंपरिक हाथ से बुने हुए वस्त्र की महिमा ही कुछ अलग है। पर्यावरण के प्रति अनुकूल इस वस्त्र के प्रति दुनिया भर में रूचि बढ़ रही है। वे महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के सिलसिले में दो साल तक चलने वाले समारोह के अंतिम कार्यक्रम में शिरकत कर रही थीं। इस अवसर पर उन्होंने जो ड्रेस पहना था, वह बनारसी खादी सिल्क से बना था। इंडियन काउंसिल फोर कल्चरल रिलेशन द्वारा वीविंग रिलेशन: टेक्सटाइल ट्रेडिशन विषय पर आयोजित वेबीनार में दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून जे-इन की पत्नी किम जुंग सुक भी शामिल हुई थीं। इस अवसर पर उन्होंने बनारसी खादी सिल्क से बना ड्रेस पहना था। किम जुंग सुक के मुताबिक महात्मा गांधी को इस बात पर प्रबल भरोसा था कि आम इंसान ही राष्ट्र के असली हीरो-हीरोइन हैं। वे ही अपनी संस्कृति और परंपरा को जीवित रखे हुए हैं। किसी राष्ट्र का पारंपरिक वस्त्र वहां के लोगों की भावना को दर्शाता है। भारत में खादी वस्त्र इसी को परिलक्षित करता है। दक्षिण कोरिया में भी सूती के बुने हुए सफेद वस्त्र को कोरियाई लोगों की अटूट इच्छाशक्ति का प्रतीक माना जाता है। उन्होंने कहा "आज मैं बनारसी खादी से बने ड्रेस पहनी हुई हूं। ऐसा इसलिए, ताकि महात्मा गांधी की महान आत्मा को संजोया जा सके। इस पर कमल का प्रिंट बना हुआ है। कमल, जो कि भारत का राष्ट्रीय फूल है, मुझे दीवाली के त्यौहार पर कमल के आकार के दीपक की याद दिलाता है। इसी तरह के दीपक को मैंने दो साल पहले अयोध्या में पज्ज्वलित कर तैराया था।"दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति की पत्नी ने कहा कि उन्होंने दोनों देशों की सह-समृद्धि के लिए प्रार्थना की है। साथ ही विश्वास व्यक्त किया कि उनकी इच्छा वास्तव में पूरी होगी। दोनों नेताओं (दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून जे-इन और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) की दोस्ती और आपसी विश्वास ने एक बार फिर से मजबूत द्विपक्षीय संबंधों को जोड़ दिया है। वह दो साल पहले ही, नवंबर 2018 में ऐतिहासिक भारत दौरे पर आईं थीं। ऐतिहासिक दौरा इसलिए, क्योंकि ऐसा पहली बार हुआ था, जब वह अपने पति और राष्ट्रपति मून जे-इन के साथ नहीं बल्कि अकेले ही विदेशी दौरे पर आईं थीं। उस दौरान अयोध्या जाकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में हुए दीपोत्सव कार्यक्रम में भाग लिया था। 
इतिहास में इसके संकेत मिलते हैं कि राम की नगरी अयोध्या की एक रानी दक्षिण कोरिया की महारानी बनी थीं। सुरीरत्ना नाम की इस रानी ने करीब 2 हजार साल पहले वहां राज किया था। कोरियाई भाषा में सुरीरत्ना का नाम ह्यो ह्वांग-ओक था। इन्हें कोरिया के कारक वंशज से जुड़ा बताया जाता है। इस वंशज के लोग किम्हे के बाशिंदा थे। किम्हे पुसान के नजदीक था जिसे आज बुसान नाम दिया गया है। दक्षिण कोरिया में आबादी के लिहाज से राजधानी सियोल के बाद बुसान का ही नाम आता है।कोरिया और भारत इस वर्ष राजनयिक संबंधों की 47वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। दक्षिण कोरिया की सरकार और भारत सरकार इस समय मिल कर दोनों देशों के संबंध को प्रगाढ़ करने के लिए काम कर रहे हैं।

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