नेवी के 76 एमएम बमों की क्वालिटी को लेकर कटघरे में आई आयुध निर्माणी खमरिया कोर्ट ऑफ एंक्वायरी में बेदाग साबित हुई है। उल्टा जाँच में यह खुलासा हुआ है कि बमों के प्राइमर में छेड़छाड़ संभवत: मुंबई स्थित डिपो में की गई थी। बहरहाल, इस मामले में सस्पेंड किए गए चार्जमैन की बहाली के आदेश जारी कर दिए गए हैं। आयुध निर्माणी खमरिया भारतीय नौसेना के लिए 76 एमएम सुपर रेपिड गन माउंट बमों को उत्पादन करती है।
तकरीबन एक साल पहले बड़े पैमाने पर बमों को खमरिया से डिस्पैच किया गया। आगे चलकर बमों का लाट जब मुंबई के करंजा डिपो में पहुँचा तो कुछ बमों में प्राइमर (बाहरी हिस्से में लगने वाला विस्फोटक) नदारद मिला। इसके बाद नेवी की ओर से ओएफके जीएम को खबर की गई थी और तत्काल बाद तीन अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया था।
आरोप स्वीकार नहीं
इसके कुछ दिनों बाद ही अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट थमाई गई। आरोपों से इनकार करने पर बोर्ड ऑफ एंक्वायरी का गठन किया गया। बोर्ड के सामने संगठन एआईएएनजीओ की ओर से सीई मेंमर भारत भूषण ओझा ने पक्ष रखा। तर्कों और दस्तावेजों को देखने के बाद एंक्वायरी ऑफिसर आलोक कुमार अग्रवाल ने क्वालिटी अनुभाग के कार्येक्षक अजित डे को क्लीन चिट दे दी। मामले में दो अन्य आरोपी अधिकारियों की जाँच भी इसी दिशा में आगे बढ़ रही है। एआईएएनजीओ के सत्येन्द्र प्रताप सिंह, अजय यादव, अजय घई इत्यादि ने कहा है कि इस तरह की घटनाएँ निर्माणी की प्रतिष्ठा को धूमिल तथा कर्मियों के मनोबल को कमजोर करती हैं।
सुबह मीटिंग का बहिष्कार शाम को फिर जीएम से चर्चा
जबलपुर| आयुध निर्माणी खमरिया में सुबह जेसीएम मीटिंग पर जाने से श्रमिक नेताओं ने इंकार कर दिया। हालाँकि शाम को श्रमिक नेताओं के साथ जीएम की बैठक हुई और कई मुद्धों पर विचार विमर्श किया गया। संयुक्त संघर्ष समिति ने निर्माणी की उत्पादकता, वर्कलोड, कोरोनटीन के संबंध में भेदभाव, कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार जैसे मामले उठाए। विभिन्न विषयों पर सहमति भी बनी। इस दौरान रामप्रवेश, राकेश शर्मा, राजेंद्र चडारिया, प्रेमलाल सेन, अर्नब दासगुप्ता, पुष्पेन्द्र सिंह, अरुण दूबे, आनंद शर्मा, अमित चौबे मौजूद रहे।