चीप उखड़कर यहाँ-वहाँ बिखरी पड़ी, तट किनारे का जो हिस्सा कुछ ठीक वहाँ अब गंदगी भी कहर ढा रही

जबलपुर, 

बारिश थमे एक माह से ज्यादा वक्त बीत गया, लेकिन किसी तरह का सुधार नहीं हो सका, हर तरफ सुंदरता को कर दिया चौपट

बारिश थमे एक माह से ज्यादा वक्त बीत गया और मौसम में हल्की ठण्डक बढ़ने लगी है। इन हालातों में नर्मदा के तटों पर जाने वालों की संख्या में इजाफा तो है, पर इन तटों के बदतर हालातों में किसी तरह का सुधार नहीं हो सका है। बानगी के तौर पर तिलवाराघाट को लिया जा सकता है। इस घाट को कुछ माह पहले बाढ़ ने नुकसान पहुँचाया। इसी के साथ यहाँ पर डक्ट ब्रिज के नजदीक नया ब्रिज बन रहा था उसमें घाट के एक हिस्से में तोड़फोड़ की गई।

दोनों स्थितियों के बाद लेकिन घाट पर सुधार या मरम्मत के नाम पर कुछ नहीं हो सका। अब नतीजा यह है कि आधे से ज्यादा घाट की दशा एकदम चौपट नजर आती है। बड़े हिस्से में नजर दौड़ायें तो साफ तौर पर महसूस होता है कि जिम्मेदारों की अनदेखी से एक अच्छा खासा घाट बर्बादी के आलम में है। नर्मदा का वो किनारा जिसके पास जाकर मन को शांति मिलती है वहाँ पर अभी बदतर हालातों से मन खिन्न हो जाए ऐसी स्थितियाँ हैं।

शरद पूर्णिमा पर तिलवारा घाट पहुँचे नर्मदा भक्त दुर्दशा देख हुए नाराज
ट्रैफिक और भीड़भाड़ से बचने अब बड़ी संख्या में नर्मदा भक्त तिलवारा घाट पहुँचते हैं। शुक्रवार की रात जब श्रद्धालु यहाँ पहुँचे तो घाट की दुर्दशा देखकर उनका मन खिन्न हो गया। आधा घाट जहाँ-तहाँ उखड़ा पड़ा है। वहीं घाट का जो बचा हुआ हिस्सा है, उस पर भी हर तरफ गंदगी फैली हुई थी। श्रद्धालुओं ने नाराजगी जताई कि प्रशासनिक लापरवाही के चलते यह हालात बन रहे हैं।

ढह गया मंच हर तरफ बिखरा-बिखरा
घाट पर किनारे के हिस्से में कथा-पूजन और ऐसे धार्मिक आयोजनों के लिए जो मंच बनाया गया था वह बारिश में ढह गया। इसके किनारे के हिस्से से जो पानी बहाव के साथ आया तो इसका किनारा ही ढह गया। तेज बहाव में चीप जो घाट में लगाई गई थीं वे बड़े हिस्से में यहाँ-वहाँ जाकर दूर तक बिखरी हैं।

एये दे रहे गंदगी को बढ़ावा
तट पर जो दुकान लगाते हैं उनकी जिम्मेदारी होना चाहिए कि माँ रेवा के निर्मल तट को किसी भी तरह से गंदा न होने दें, लेकिन यहाँ पर दुकान जो लगाते हैं वे धड़ल्ले से सिंगल यूज प्लास्टिक तो बेचते ही हैं, साथ ही कचरा फैलाने वाले को बढ़ावा देते हैं। इनकी दुकान के आसपास पाॅलीथिन और अगरबत्ती, दीपदान के बिखरे दोने देखे जा सकते हैं। ये दुकानदार नहीं समझ रहे हैं कि माँ नर्मदा के आंचल को गंदा कर वे इसके निर्मल जल से खिलवाड़ कर रहे हैं। तरह से अच्छा खासा घाट बदतर स्थितियों में पहुँच गया है। नगर निगम ने इसको कुछ साल पहले बनाया जरूर, लेकिन देखरेख और समय-समय पर कुछ सुधार करना जैसे भूल ही गये।

सफाई कर्मी दिखाई नहीं देते
तट पर 4 सफाई कर्मी नगर निगम स्वास्थ्य विभाग कहता है कि हमेशा तैनात रहते हैं जो सफाई पर ध्यान देते हैं, पर जब यहाँ पर कचरा अधिक होता है उसी समय ये सफाई कर्मी दिखाई नहीं देते हैं। तट पर गंदगी का यह आलम है कि सुबह से लेकर शाम तक किनारे हिस्सों में सिंगल यूज प्लास्टिक, पाॅलीथिन और लेमीनेटेड दोने का ढेर लग जाता है। कभी-कभी ऐसा लगता है जैसे यहाँ पर महीनों से सफाई नहीं हुई है। गंदगी फैलाने में जिम्मेदारों की अनदेखी तो है ही, साथ ही दुकानदार, नर्मदा में सफाई को नजरअंदाज कर दीपदान करने वाले भक्त और अनेकों ऐसे लोग हैं जो किसी भी तरह से तट को क्लीन बनाये रखने में सहयोग करने तैयार ही नहीं हैं।

Post a Comment

Previous Post Next Post
eaglenews24x7

क्या कहते है सितारे