जबलपुर नगर निगम में सफाई के नाम पर बड़ी गड़बड़ी, 25 करोड़ खर्च होने के बाद भी नहीं बदली शहर की तस्वीर


जबलपुर, निगम ने एस्सल ग्रुप को 16 एकड़ जमीन लीज पर देने के साथ 20 वर्ष का अनुबंध किया। कचरे से बिजली बनाने वाले प्लांट की क्षमता 600 टन, लेकिन 500 टन भी नहीं हो पाता कलेक्ट शहर के 79 वार्ड की सफाई पर होने वाला खर्च आठ से 25 करोड़ पहुंच गया, लेकिन फिर भी तस्वीर नहीं बदली। डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन के लिए 305 वाहन लगे हैं। शहर की सफाई के लिए ठेके सहित निगम के कुल तीन हजार सफाई कर्मी लगाए गए हैं। बावजूद घरों और सडक़ों से पूरा कचरा नहीं उठ पाता। यहीं कारण है कि कचरे से बिजली बनाने वाला प्लांट कभी पूरी क्षमता से चल ही नहीं पाया।

प्लांट की बिजली उत्पादन क्षमता 11.5 मेगावाट है। इसके लिए प्लांट को रोज 600 टन कचरा चाहिए पर नगर निगम 450 टन के लगभग ही कचरा कलेक्ट कर पाता है। शहर में तीन वर्ष पहले डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन चालू हुआ था। इससे पहले नगर निगम के 1400 नियमित और संविदा कर्मियों के साथ 1600 के लगभग ठेका श्रमिक सफाई करते थे। निगम हर वर्ष आठ करोड़ रुपए के लगभग खर्च करता था। इसके बाद अधिकारियों ने हाईटेक और घरों से कचरा कलेक्शन का डोर-टू-डोर फार्मूला अपनाया। सफाई का खर्च बढ़कर सालाना 25 करोड़ पहुंचा गया पर हालात जस के तस बने हुए हैं।

एक ही कम्पनी को प्लांट और कचरा कलेक्शन का ठेका
कचरे के निपटान की एक बड़ी समस्या थी। इसे दूर करने के लिए बेस्ट टू एनर्जी मॉडल पर कठौंदा में प्लांट लगाया गया। निजी कम्पनी एस्सल ग्रुप ने जापानी तकनीक आधारित 11.5 मेगावाट क्षमता का प्लांट लगाया। निगम ने ग्रुप को 16 एकड़ जमीन लीज पर देने के साथ 20 वर्ष का अनुबंध किया। शर्त के अनुरूप कम्पनी निगम से 20 रुपए प्रति टन की दर से कचरा खरीदती है। वहीं प्लांट से तैयार बिजली 6 रुपए प्रति यूनिट की दर से राज्य सरकार ने खरीदने का करार किया है। इसी कम्पनी को बाद में डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन का भी ठेका मिल गया। अनुबंध में 1470 रुपए प्रति टन की दर निर्धारित की है।

कचरा खरीदी का कम्पनी ने करोड़ों रुपए दिया ही नहीं
नगर निगम से कचरा खरीद कर बिजली बनाने वाली कम्पनी ने आज तक एक पैसा भी भुगतान नहीं किया है। उस पर 1.89 करोड़ रुपए का बकाया है। नगर निगम हर महीने कम्पनी को कचरा कलेक्शन के एवज में भुगतान तो करती रही, लेकिन खुद का पैसा नहीं वसूला। अब यह कम्पनी प्लांट का प्रोजेक्ट से लेकर कचरा कलेक्शन का काम दुबई की अवार्डा कम्पनी को सौंपने जा रही है। नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी भूपेंद्र सिंह ने बताया कि कम्पनी को भुगतान के लिए हर महीने रिमांडइर भेजा जाता है। भुगतान के लिए फिर से पत्र भेजा गया है।

कम्पनी को बढ़ावा देने के लग चुके हैं आरोप
पार्षद से विधायक बनने वाले विनय सक्सेना ने पिछले दिनों सम्भागायुक्त से कम्पनी को बढ़ावा देने की शिकायत की थी। आरोपों में बताया था कि निगम ने कठौंदा में 16 एकड़ जमीन एस्सल इंफ्रा कम्पनी को लीज पर दी थी। इसी जमीन पर कम्पनी ने वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाया था।

अब जमीन सहित प्लांट दुबई की अवार्डा कम्पनी को बेच रही है। यहां तक कि डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन के लिए अनुबंध की शर्तों के 50 फीसदी उपकरण व कर्मचारी तक इस कम्पनी ने नहीं लगाया। बावजूद उसे हर महीने करोड़ों का भुगतान होता रहा। कोरोना संकट के बीच निगम ने 25 करोड़ के वाहन खरीद कर इस कम्पनी के काम में लगा दिए। कम्पनी को 1316 कर्मियों का पीएफ काटकर उसकी रसीद पर निगम से भुगतान लेना था, लेकिन वह दूसरी कम्पनी के नाम की पीएफ रसीद जमा कर भुगतान लेती रही।

पुरानी शर्तों के अनुसार नई शर्त भी जोड़ रहे
स्वास्थ्य अधिकारी भूपेंद्र सिंह के मुताबिक नई कम्पनी पर भी पुरानी शर्तें लागू होंगी। साथ ही निगम की तरफ से नई शर्त भी जोड़ी जा रही है। इससे सफाई व्यवस्था और प्रभावी हो सके।

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