भारत-रूस की नई ब्रह्मोस दुश्मनों के अवाक्स प्लेन का बनेगा काल


मास्को। भारत और रूस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के नए वैरियंट को बना रहे हैं। नई मिसाइल दुश्मन देश के अवाक्स सिस्टम (एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल) वाले प्लेन को मार गिराने में कारगर होगी। अवाक्स सिस्टम को उसके साइज और वजन के हिसाब से भारी और मध्यम श्रेणी के विमानों के ऊपर लगाया जाता है। इसकी मदद से विमान के अंदर बैठे ऑपरेटर्स एक निश्चित दूरी तक हवाई जहाजों और मिसाइलों की उड़ान पर नजर रखते हैं।
ब्रह्मोस उपक्रम के संयुक्त निदेशक अलेक्जेंडर मिकोशेव ने बताया कि ब्रह्मोस का नया वैरियंट 2024 तक तैयार हो जाएगा। उन्होंने बताया कि नई मिसाइल एक साथ कई निशानों को साधने में सक्षम होगी। उन्होंने पहले ही बताया था कि भारत के स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस को इस मिसाइल के एयर वैरियंट से लैस किया जाएगा। भारत और रूस पहले से ही इस सुपरसोनिक मिसाइल की रेंज 290 किलोमीटर से बढ़ाकर 600 किलोमीटर करने की योजना पर काम कर रहे हैं। इस मिसाइल की रेंज बढ़ने से भारत की मारक क्षमता में बढ़ी वृद्धि होगी। ब्रह्मोस कम दूरी की रैमजेट इंजन युक्त, सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। इसे पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, लड़ाकू विमान से या जमीन से दागा जा सकता है। किसी भी मिसाइल की स्पीड बढ़ाने के लिए अब रैमजेट इंजन का प्रयोग किया जा रहा है। भारत की सबसे तेज मिसाइल ब्रह्मोस में भी यही इंजन लगा हुआ है। इसकी मदद से मिसाइल की स्पीड तीन गुना तक तेज हो जाती है। अगर किसी मिसाइल की क्षमता 100 किमी दूरी तक है तो उसे रैमजेट इंजन की मदद से 320 किमी तक किया जा सकता है। ब्रह्मोस सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल को रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया और भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है। ब्रह्मोस मिसाइल का नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी पर रखा गया है। इस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की गति ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना अधिक है।

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