कोरोना के ठीक हुए मरीजों में फेफड़ों संबंधी दिक्कतें


लंदन । कोरोना वायरस से संक्रमित रोगियों के हॉस्पिटल से घर लौटने के तीन महीने बाद भी वे फेफड़ों की दिक्कतों से जूझ रहे हैं। यह खुलासा हुआ है एक अध्ययन में। अध्ययन के अनुसार, कोरोना वायरस से पीड़ित मरीज की हालत में आमतौर पर छह हफ्तों में सुधार आ जाता है लेकिन शोधार्थियों ने यह पाया कि कुछ को सांस लेने में और कुछ को कफ की समस्या बहुत लंबे समय तक आ रही है। ऑस्ट्रिया के टाइरोलियन क्षेत्र के विभिन्न संस्थानों के शोधकर्ताओं ने कोरोनोवायरस रोगियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था जिन्हें छुट्टी के बाद छह, 12 और 24 सप्ताह में मूल्यांकन के लिए वापस आने के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। रिसर्चर ने मूल्यांकन के समय पाया कि आधे से अधिक रोगियों में कम से कम एक लगातार लक्षण बना रहता है। इन रोगियों में मुख्य रूप से सांस की तकलीफ और खाँसी और सीटी स्कैन अभी भी 88 प्रतिशत में फेफड़ों की क्षति को दर्शाते हैं। इन्हें कफ की समस्या बनी रहती है। इन सभी रोगियों में 88 फीसदी के फेफड़े क्षतिग्रस्त होते हैं। इन रोगियों के दूसरे विजिट पर उनमें बहुत सुधार देखा गया लेकिन 56 फीसदी रोगियों के फेफड़ों में दिक्कत बनी हुई थी। इस रिसर्च से जुड़ी हुई सबीना साहानिक ने कहा कि कोविड-19 के ठीक हुए मरीज हॉस्पिटल से जाने के कई हफ्तों बाद भी कई तरह की समस्या से जूझ रही हैं। सबीना साहानिक इन्ब्रस्क यूनिवर्सिटी में क्लिनिकल पीएचडी की छात्रा हैं। रिसर्चरों ने मरीजों के पहली बार मूल्यांकन करने के समय पाया कि आधे से अधिक रोगियों में एक न एक लक्षण जारी रहती है। इन रोगियों में सांस लेने में समस्या बनी रहती है।

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