देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान कितना बदल गया इंसान।जाननें के लिये पढ़े पूरी खबर.....

देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान कितना बदल गया इंसान।


एक तरफ सरकार बड़े-बड़े वादे करती है माँ नर्मदा के लिये और दूसरे तरफ अपने किये वादे भूल जाती है।


कुछ समय पूर्व प्रभारी मंत्री कमल पटेल के द्वारा आदेश पारित किया गया था।जिसमें माँ नर्मदा में हो रहे अवैध उत्खनन को रोका जाये एवं हाइकोर्ट के द्वारा जो आदेश हुए है।उस आदेश को देखते हुये अवैध उत्खनन करने वाले भू-माफिया,दबंग पूंजीपतियो पर सख्त से सख्त कार्यवाही की जाये।

आखिर अभी तक कोई कार्यवाही क्यों नहीं की गई ?


आखिर कब तक जागेगा शासन-प्रशासन ?


कब तक जारी रहेगा अन्न-जल त्याग का अनसन ?


यदि इस अनसन से किसी को कुछ बड़ी हानि होती है।उन सबका जिम्मेदार कौन ?


समर्थ भैयाजी सरकार की तबियत बिगड़ी, आईसीयू में हुए भर्ती, डॉक्टरों ने बताई हालत नाजुक।


जबलपुर। नर्मदा व गौवंशों को बचाने के लिए लगातार अनशन कर रहे।समर्थ भैया जी सरकार की तबियत अचानक बिगड़ गई है। गौरतलब है कि भैयाजी सरकार अन्न परित्याग कर लगातार 59 दिन से सत्याग्रह कर रहे हैं,इसी वजह से उनका स्वास्थ्य अचानक से खराब हुआ और उन्हें जामदार अस्पताल के आईसीयू में भर्ती करवाया गया है।


इस संबंध में नर्मदा पुत्रों ने बताया कि उच्च न्यायालय के आदेशों के तहत नर्मदा तटों के समीप अवैध उत्खन्न व अवैध निर्माण व अतिक्रमणों को हटाने की मांग को लेकर समर्थ भैयाजी सरकार के द्वारा आंदोलन किया जा रहा है, ताकि गुप्त हो रही नर्मदा को बचाया जा सके और वहीं गौवंशों को भी बचाने की मांग की जा रही है।


जिसके चलते संत के द्वारा अन्न का परित्याग कर अनशन किया जा रहा है। इसी वजह से उनकी हालात अत्यंत नाजुक हो गई है। जिसके चलते सभी नर्मदा भक्तों ने उनके बेहतर स्वास्थ्य की मंगल कामना की है। 


डॉक्टरों के द्वारा उपचार भी प्रारंभ कर दिया गया है।


वहीं इस संबंध में चिकित्सकों ने बताया कि अगर संत इसी तरह से अनशन करते रहे और अन्न ग्रहण नहीं करेंगे।तो उनकी तबियत अत्यधिक बिगड़ जाएगी,वहीं इस संबंध संत भैयाजी सरकार का कहना है।कि जब तक सरकार व शासन नर्मदा व गौंवश को बचाने के लिए कोई सार्थक कदम नहीं उठाती है और आवश्यक आदेश जारी नहीं करती है,तब-तक उनका अनशन जारी रहेगा, चाहे नर्मदा व गौंवश को बचाते-बचाते उनकी प्राण ही क्यों न निकल जाए, इसलिए शासन व सरकार को इस दिशा में जल्द ही कोई ठोस कदम उठाना चाहिए,नहीं तो संत समर्थ व नर्मदा पुत्रों में आक्रोश पनप सकता है।


जिसका जिम्मेदार सरकार से लेकर शासन- प्रशासन होगा।

सात सूत्रीय मांग:-

(1) मां नर्मदा तट एच.एफ.एल.से 300 मीटर तक के हरित क्षेत्र को मान. उच्च न्यायालय के आदेशानुसार सीमांकन कर प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित कर तत्काल संरक्षित किया जाए   

(2) मां नर्मदा को जीवंत इकाई का दर्जा देकर ठोस नीति व कानून बनाए।

(3) दबंग,भू-खनन माफिया पूंजीपतियों द्वारा लगातार हो रहे हरित क्षेत्र में अवैध निर्माण, अतिक्रमण भंडारण,खनन तत्काल प्रतिबंधित कर अवैध साधन संसाधन भंडारण सामग्री को तत्काल राजसात किया जाए।

(4) अमरकंटक तीर्थ क्षेत्र में हो रहे निर्माण अतिक्रमण खनन पूर्णत: प्रतिबंधित किया जाए।

(5) मां नर्मदा के जल में मिल रहे गंदे नालों विषैले रासायनों को बंद करने व अपशिष्ट द्रव्य पदार्थों के प्रबंधन हेतु प्रभावी ठोस कार्ययोजना लागू की जाए।

(6) बेसहारा गौ वंश के लिए आरक्षित नगरीय निकायों की गौचर भूमि को संरक्षित किया जाए एवं अवैध अतिक्रमण निर्माण कब्जा से मुक्त कराया जाए।

(7) मां नर्मदा पथ के तटवर्ती गांव नगरों को जैव विविधता क्षेत्र घोषित कर समग्र गौनीति-गौ अभ्यारण सुनिश्चित किए जाएं।
   

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