इन्दौर-खंडवा रोड़ पर भी है माता वैष्णो देवी जैसा धाम


इन्दौर । माता वैष्णो देवी के दुनिया भर मे लाखों करोड़ो भक्त मौजूद हैं,जहां माता के दर्शन करने के लिए देश-विदेश से पहुंचते हैं। लेकिन कोरोना महामारी की वजह से जम्मू-कश्मीर में रियासी जिले की त्रिकुटा पहाड़ियों पर माता वैष्णो देवी की पवित्र गुफा मंदिर पर श्रद्धालुओं के लिए जाना मुश्किल हो गया है। आस्था के इस केंद्र वैष्णों देवी तक जाना आम इंसान के लिए आसान नहीं है। क्योंकि इसमें पैसा भी खर्च होता है और वक़्त भी। फिर इतनी दूर का सफर कर पहुंचने में और भी परेशानियां है।कोरोना संकट के बीच आर्थिक परेशानियां भी बढ़ी है, महंगाई के इस दौर में वैष्णोदेवी के दर्शन की हसरत पूरी करना हर किसी के बस की बात नहीं। इस तड़प और बेचैनी को इन्दौर के समाजसेवी ठाकुर उदयसिंह ने समझा और उन्होंने हूबहू वैष्णोदेवी जैसा धाम इन्दौर से नज़दीक मोरटक्का क्षेत्र में अपनी पत्नी की स्मृति में उमा देवी धाम के नाम से बनवाया है। जो इतना जबरदस्त और अनूठा बना है कि आंखे फ़टी रह जाती हैं, वहीं शहर की आपाधापी के बीच यहां जो आध्यात्मिक सुकून मिलता है। जिसको शब्द नहीं दिए जा सकते। 
नवरात्र के पावन पर्व पर यह मंदिर और परिसर आस्था और श्रद्धा का केंद्र बन गया है, क्षेत्र के अलावा बड़ी संख्या में पंजाब, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान आदि क्षेत्र से माता के भक्तों आकर यहां पर मां के दर्शन करते हैं। ठाकुर उदयसिंह ने खास कारीगरी के साथ यह मन्दिर बनवाया है। मोरटक्का पुल के पास हरियाली के बीच उमादेवी धाम इतना अलौकिक है कि जहां पहुंचते ही जीवन धन्य हो जाता है। इन्दौर-खंडवा रोड़ पर बना ये वैष्णव धाम मंदिर हूबहू जम्मू के वैष्णो देवी मंदिर जैसा निर्मित किया गया है। इस मंदिर में जाते ही आपको माँ वैष्णो देवी की गुफाओं का एहसास होगा। इस मंदिर का निर्माण मन्दिर कलाकार डिज़ाइन व इंजीनियर आर्ट ऑफ शिल्पी के नंदकिशोर द्वारा किया गया है। भीतर पर्वतों की गुफा के रूप में सुरंगी रास्तों से होते हुए माँ वैष्णो के दर्शन के पूर्व सर्वप्रथम रिद्धी-सिद्धि के साथ भगवान श्री गणेश के दर्शन मानो इस यात्रा के साथ ही सम्पूर्ण जीवन का शुभाशीष दे रहे होते हैं।
ठाकुर उदय सिंह बताते हैं कि माताजी, लक्ष्मीजी और सरस्वती मां की मूर्ति जयपुर से लाए हैं। यहां राधाकृष्ण का मंदिर भी है और शंकर भगवान का स्थान भी है। इसके निर्माण में 55 तन से अधिक सरिया लगा है। 2009 में इसका निर्माण शुरू किया था।पहले राधाकृष्ण का मंदिर बनाया। फिर पिता ठाकुर नाना सिंह के नाम पर धर्मशाला बनवाई। जिसमें 25 कमरे हैं और भागवत कथा व अन्य धार्मिक आयोजनों के लिए एक हॉल भी है। जो गरीब कन्याओं के विवाह के लिए निशुल्क है। माता की स्मृति में भोलेनाथ बनवाया है। हर अमावस्या को हज़ारों लोगों का निशुल्क भंडारा होता। गुफाओ में आगे बढ़ते-बढ़ते रास्ते में पक्षियों का कोलाहल मन को आनंदित कर देता है। इन दिनों मां की आराधना का पर्व नवरात्रि पर कोरोना का असर ज़रूर है लेकिन आस्था का जोर भारी है। शहर से दूर सुकून के माहौल में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। इन्दौर से भी बड़ी संख्या में दर्शन के लिए परिवार सहित लोग पहुंच रहे हैं। 
एडवोकेट राकेश सिंह ठाकुर अम्बु भैया ने बताया कि जब भी वे ओंकारेश्वर व नर्मदा के दर्शन के लिए आते हैं यहां ज़रूर आते हैं। ऐसी मान्यता है कि उमादेवी धाम में माता के दरबार में गरीब और अमीर दोनों सच्चे श्रद्धाभाव के साथ अपना सिर झुकाते हैं। हर साल लाखों लोग उमाधाम मंदिर में माता का आशीर्वाद लेने के लिए एकत्र होते हैं। ऐसी मान्‍यता है कि यहां तिजोरी में कोई भक्त चिट्ठी लिखकर डाल दे तो उसकी इच्छा पूरी हो जाती है और जो भक्‍त सच्‍चे मन से माता के सामने प्रार्थना करते हैं, माताजी उनकी सभी मुरादें पूरी कर देती हैं। 
गाथा बन कल-कल बह रही है मोरटक्का में नर्मदा के तट पर बना वैष्णव धाम आध्यात्मिक एहसास व मन को सच्ची शांति पहुंचाता है। इसके साथ ही दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पार्किंग फ्री है। भविष्य में यहां स्कूल व वृद्धाश्रम शुरू करने की भी योजना है। कुल मिलाकर निमाड़ का वैष्णोदेवी धाम कहा जाने वाला यह स्थल भक्तों को अपनी ओर श्रद्धा भाव से आकर्षित करता है।

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