एक युवक ने राजस्थान हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर गुहार लगाई कि उसकी पत्नी को उसके पिता ने घर पर जबरन बंधक बना रखा है। जब कोर्ट ने युवती को बुलाकर पूछा तो वह बोली कि दबाव की वजह से वह कुछ सोच नहीं पा रही है।
इस पर कोर्ट ने दबाव मुक्त होकर सोचने के लिए उसे 24 घंटे के लिए नारी निकेतन के कोरेंटाइन सेंटर में भेज दिया। वहां से शुक्रवार को उसे फिर राजस्थान हाई कोर्ट के न्यायाधीश संदीप मेहता व कुमारी प्रभा शर्मा की खंडपीठ के समक्ष पेश किया गया। कोर्ट के समक्ष वह बोली कि उसने याचिकाकर्ता से गलतफहमी की वजह से विवाह किया, लेकिन अब वह अपनी इच्छा से पिता के घर पर रह रही है और उन्हीं के साथ रहना चाहती है। इसके बाद कोर्ट ने युवक की याचिका खारिज कर दिया।
नागौर के एक युवक ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दी थी। युवती ने याचिकाकर्ता की ओर से उसकी पत्नी को माता-पिता द्वारा बंधक बनाए जाने के दावे को नकार दिया। उसने कोर्ट में बड़े ही धैर्य के साथ कहा कि कुछ गलतफहमी की वजह से उसके याचिकाकर्ता के साथ वैवाहिक संबंध हो गए और अब वह अपने माता-पिता के घर पर खुद की इच्छा व बिना किसी दबाव के रह रही है। किसी भी तरह से वह अवैध रूप से बंधक नहीं है। युवती के इस बयान के बाद कोर्ट ने युवक द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज कर दिया।