"कोर्ट की फटकार: BJP विधायक मेश्राम पर मानहानि का मुकदमा दर्ज, 4 अगस्त को पेशी"

 CD सबूत, गवाह तैयार—कानून अब बोलेगा



जबलपुर की विशेष अदालत ने स्पष्ट कहा—‘सार्वजनिक मंच से अपमान करना यदि साबित हो जाए, तो यह आपराधिक मानहानि की श्रेणी में आता है।’
देवेंद्र पाठक द्वारा दर्ज याचिका में बताया गया कि किस प्रकार गोंडबहारा गांव की सभा में विधायक मेश्राम ने उन्हें चोर और 420 कहकर बदनाम किया।
CD, गवाह और संदर्भित भाषण का पाठ अदालत के समक्ष प्रस्तुत हुआ। न्यायाधीश ने संज्ञान लेते हुए विधायक को 4 अगस्त को उपस्थित होने का आदेश दे दिया।
यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के तहत विधायक को सजा हो सकती है। इससे पहले भी भाषा की मर्यादा और लोकतंत्र की गरिमा पर सवाल, जब मंच से निकले अपमानजनक शब्द"

क्या जनप्रतिनिधियों को है अपशब्द कहने का विशेषाधिका


लोकतंत्र की बुनियाद आलोचना और उत्तरदायित्व पर टिकी होती है। लेकिन क्या यह आलोचना अपमान में बदल जाए, तो क्या उसे जनप्रतिनिधि का अधिकार कहा जा सकता है?
BJP विधायक राजेंद्र मेश्राम द्वारा एक जनसभा में देवेंद्र पाठक को 'चोर' और '420' कहने की घटना इस सवाल को ज़रूरी बना देती है।
पाठक ने संविधान की राह पकड़ी—अदालत का दरवाजा खटखटाया, न कि अपशब्दों का बदला अपशब्दों से लिया।
आज जब सत्ता के लोग खुद को कानून से ऊपर समझने लगें, ऐसे मुकदमे हमें यह याद दिलाते हैं कि लोकतंत्र में हर नागरिक की गरिमा सर्वोपरि है।

4 अगस्त को अदालत में सिर्फ एक केस नहीं सुना जाएगा—वहाँ लोकतंत्र का आइना भी रखा होगा।मेश्राम पर भ्रष्टाचार व अनियमितताओं के मामले दर्ज हैं, जिससे उनकी विधायकी को खतरा हो सकता है।

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