मेरी आवाज ही पहचान है...
देश ने आज अपना...अमूल्य"...रत्न खो दिया...
61 साल की उम्र में गाने के लिए नेशनल अवॉर्ड जीतने वाली वे एकमात्र गायिका रहीं...
जबलपुर।।आखिर जिसका डर था वो ही हुआ, भारत ने अपना सबसे अमूल्य रत्न खो दिया। कोरोना की कर्कश आवाज भारत की स्वर कोकिला को लील गई।आज सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर कोरोना से जंग हार कर दुनिया को विदा कह गईं।उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में आखिरी सांस ली।92 साल की लताजी की 8 जनवरी को कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी,जिसके बाद उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया था।उनके भर्ती होने की खबर भी 2 दिन बाद 10 जनवरी को सामने आई थी।उन्होंने कोरोना और निमोनिया दोनों से 29 दिन तक एक साथ जंग लड़ी।उन्हें ब्रीच कैंडी अस्पताल के आईसीयू में रखा गया था।लंबे समय से लता ताई का इलाज कर रहे डॉ.प्रतीत समधानी की देखरेख में ही डॉक्टर्स की टीम उनका इलाज कर रही थी।इलाज के दौरान उनकी हेल्थ में सुधार भी देखा जा रहा था।उन्हें लगातार ऑब्जर्वेशन में रखा गया।करीब 5 दिन पहले उनकी सेहत में सुधार होना भी शुरू हो गया था।ऑक्सीजन निकाल दी गई थी लेकिन आईसीयू में ही रखा गया।
स्वर कोकिला,दीदी और ताई जैसे नामों से लोकप्रिय लताजी के निधन से पूरे देश में शोक की लहर है।फैंस उनके ठीक होने की दुआएं कर रहे थे लेकिन आज इस बुरी खबर से करोड़ों संगीत प्रेमियों का दिल टूट गया।सैंकड़ों कालजयी गानों को अपनी आवाज देने वाली लता जी आज अनंत यात्रा पर चली गईं।लताजी लगभग दो साल से घर से नहीं निकली थीं।वे कभी-कभी सोशल मीडिया के जरिए अपने फैंस के लिए संदेश देती थीं।बढ़ती उम्र और गिरती सेहत के कारण वे अपने कमरे में ही ज्यादा समय गुजारती थीं।उनके घर के एक स्टॉफ मेंबर की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आने के बाद उनका टेस्ट कराया गया था।8 जनवरी को उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी।
92 साल की लता ने 36 भाषाओं में 50 हजार गाने गाए,जो किसी भी गायक के लिए एक रिकॉर्ड है।करीब एक हजार से ज्यादा फिल्मों में उन्होंने अपनी आवाज दी। 1960 से 2000 तक एक दौर था जब लता मंगेशकर की आवाज के बिना फिल्में अधूरी मानी जाती थीं।उनकी आवाज गानों के हिट होने की गारंटी हुआ करती थी।सन 2000 के बाद से उन्होंने फिल्मों में गाना कम कर दिया और कुछ चुनिंदा फिल्मों में ही गाने गाए।उनका आखिरी गाना 2015 में आई फिल्म डुन्नो वाय में था।करीब 80 साल से संगीत की दुनिया में सक्रिय लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को मध्य प्रदेश के ही इंदौर में हुआ था।13 साल की छोटी उम्र में 1942 से उन्होंने गाना शुरू कर दिया था।लता जी के पिता पं.दीनानाथ मंगेशकर संगीत की दुनिया और मराठी रंगमंच के जाने पहचाने नाम थे।उन्होंने ही लता जी जो संगीत की शिक्षा दी थी।5 भाई-बहनों में सबसे बड़ी लता जी की तीन बहनें आशा भोंसले,उषा मंगेशकर,मीना मंगेशकर और भाई हृदयनाथ मंगेशकर हैं।लता मंगेशकर अपनी बहन उषा और भाई हृदयनाथ के साथ मुंबई के पेडर रोड स्थित प्रभुकुंज में पहले फ्लोर पर रहती थीं।कई सालों से वे यहां रह रही थीं।बहन आशा भोंसले भी यहां से कुछ दूरी पर ही रहती हैं।सालों तक प्रभाकुंज सोसायटी की सुबह लता मंगेशकर के संगीत के रियाज से ही शुरू होती रहीं।करीब 4 साल से उनका रियाज खराब सेहत के कारण लगभग बंद सा ही था।नवंबर 2019 में भी लता जी को निमोनिया और सांस की तकलीफ के कारण ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया जा चुका था।जहां वे 28 दिन भर्ती रही थीं।नवंबर 2019 के बाद से उनका घर से निकलना भी लगभग बंद हो चुका था। लता मंगेशकर को 2001 में संगीत की दुनिया में उनके योगदान के लिए भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था। इसके पहले भी उन्हें कई सम्मान दिए गए जिसमें पद्म विभूषण,पद्म भूषण और दादा साहेब फाल्के सम्मान भी शामिल हैं। कम ही लोग जानते हैं कि लता जी गायिका के साथ संगीतकार भी थीं और उनका अपना फिल्म प्रोडक्शन भी था,जिसके बैनर तले बनी फिल्म "लेकिन" थी, इस फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट गायिका का नेशनल अवॉर्ड भी मिला था,61 साल की उम्र में गाने के लिए नेशनल अवॉर्ड जीतने वाली वे एकमात्र गायिका रहीं। इसके अलावा भी फिल्म "लेकिन" को 5 और नेशनल अवॉर्ड मिले थे।
लेख उमाशंकर अवस्थी...